Friday, October 25, 2013

मशहूर ओ मारूफ़ माहिर-ए-सियासियात (political scientist) फ्रांसिस फुकुयमा (Francis Fukuyama) ने अपने एक आर्टिक्ल सोशल कैपिटल, सिविल सोसाइटी एण्ड डेवलपमेंट (Social capital, civil society and development)—और दीगर तस्नीफ़ात में भी—रेडियस ऑफ ट्रस्ट (radius of trust) की इस्तलाह का इस्तेमाल किया है। इन तस्नीफ़ात (writings) में, फुकुयमा नें बॉण्डिंग (bonding) के नतीजे में रेडियस ऑफ ट्रस्ट के महदूद हो जाने और सियासी सतह पर एक वर्टिकल पैट्रनेज सिस्टम(vertical patronage system) के खड़े हो जाने का ख़दशा ज़ाहिर किया है। उनका मानना है कि इस सिस्टम में सिर्फ़ उसी के गिर्द-ओ-नवाह (आवाह क्षेत्र) में रहने वाले लोग ही मुस्तफ़ीद (लाभान्वित) हो सकते हैं, दूसरे नहीं।
इसी बॉण्डिंग के हवाले से रोबर्ट पटनम (Robert Putnam) ने अपनी किताब बॉलिंग अलोन(Bowling Alone) में समाजी सरमाया (सोशल कैपिटल) के दोनों पक्षों—बॉण्डिंगऔर ब्रिजिंग (bridging) पर बात करते हुए फुकुयामा के रेडियस ऑफ ट्रस्ट को मौज़-ए-गुफ़्तगू बनाया है। बॉण्डिंग से यक़ीन ओ एतमाद (trust) का दायरा तंग होता है लेकिन ब्रिजिंगका अमल इसको और वुसअत (विस्तार) देता है। यही तौसीअ (विस्तार) जम्हूरियत के अमल को और मज़बूती देती है। समाजी सरमाया को ज़्यादा ताक़तवर और क़ादिर (समर्थ) बनाने के लिए बॉण्डिंगऔर ब्रिजिंग का एक साथ बना रहना ज़रूरी है। बॉण्डिंग मुआशरे और समाज में हाशिये पर खड़े लोगों को एकजुट और ऑर्गनाइज़ करने का काम करता है तो ब्रिजिंगमुख़्तलिफ़ कम्यूनिटीज़ के बीच ज़रूरी मुद्दों पर आमराय और हमआहंगी (coordination) की तरफ़ ले जाता है। पसमान्दा डिसकोर्स इसी बॉण्डिंगऔर ब्रिजिंगकी ज़िंदा जावेद मिसाल है और यह एक पाएदार समाजी सरमाए की तख़्लीक़ करने में एक कारगर रोल अदा करता है। यह डिसकोर्स मुंदरजा ज़ैल (निम्नलिखित) चार तरीक़ों  से रेडियस ऑफ ट्रस्ट को और वुसअत (विस्तार) देता है:
1.     इसमें डाईवर्सिटी के लिए रवादारी (tolerance) का जज़्बा है,
2.     इसमे डाईवर्सिटी के लिए क़ुबूलियत (acceptance)और रवादारी ही नहीं, मसावी अहमियत व तरजीह (equal weightage) की भी क़ुबूलियत मौजूद है;
3.     यह डिसकोर्स रिलेटिविज़्म का डिसकोर्स  नहीं है जो एक के मुक़ाबले दूसरे की दर्जाबंदी करता हो बल्कि मुख़्तलिफ़ बॉंडिंगस हो एकसाथ देखता है; और
4.     इसकी ज़बान डाइलॉग,मिलाप के साथ साथ तनक़ीदऔर इण्ट्रोस्पेकशन की है।


चुनाँचे, पसमान्दा डिसकोर्स, दौरे जदीद का एक अहम डिसकोर्स है जो दाख़िली जम्हूरियत के अमल को मज़बूती देता है और समाजी इंसाफ़ के लिए रास्ता हमवार करता है।

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